कैसा सफ़र है कैसी डगर है

सब कहते हैं जिंदगी एक सफर है और हमें चलते जाना है यह भी कहना बड़ा अजीब है
रे मन क्या यह बात तेरी समझ में आती है ?
मेरी तो समझ में ही नहीं आता कि कहां चलते जाना है कितनी देर तक चलना है कब तक चलना है
अच्छा तुम यह बताओ कोई रास्ता भी तो नहीं दिखाई पड़ता है पता नहीं कौन सी सड़क है अगर है तो दिखाई पड़ती ही कहां है तुमने देखा है जिस पर गाड़ियाँ चलती है वह सड़क? वह तो दिखाई पड़ती है जिन पर लोग चलते हैं वह डगर भी दिखाई पड़ती है परंतु जीवन की डगर तो दिखाई पड़ती ही नहीं फिर भी कहते हैं सब कि हम चलते रहते हैं
ओ रे मन यह कैसी पहेली है
अरे तुम हंस क्यों रहे हो मुझ पर ?
ऐसे सवाल कोई पूछता ही नहीं इसीलिए ना ?
देखो मैं तुमसे नाराज़ हो जाऊंगी अगर तुमने मुझे कहा कि मैं पागल हो रही हूं
बस तुम चुप रहो यह क्या कह रहे हो क्या ऐसे सवाल कोई पूछता है क्या ?क्यों नहीं ? ऐसी पहेली ही मेरे सामने आ गई है यह सवाल पूछा है तुमसे पहले भी मैंने मुझे नहीं याद आता है हो सकता है होंगे इससे मिलते-जुलते कोई सवाल हां होंगे और हो भी सकते हैं
अच्छा छोड़ो झगड़ा सुनो मेरी बात बताओ ना यह जीवन तो जीने का नाम है जो सुबह से लेकर रात सो जाने तक फिर दूसरे सुबह की इंतजार में सपने देखने को जीवन हीं तो कहते हैं दिनभर का जो हमारा काम काज होता है जो हमारी इच्छाएं अभिलाषा तृष्णा द्वेष धोखा फरेब झूठ और पता नहीं कैसे-कैसे अनगिनत एहसास भावनाएं इसी को तो जीवन कहते हैं
रे मन तूने ही तो बताया था ऐसा मुझे परंतु यहां डगर कहां है यहां कहां है कोई रास्ता
ओ रे मन बताओ ना मुझे ?
पढ़ लिख कर के सुना था ऐसे ही बहकी बहकी बातें करते हैं जैसी बहकी बातें तू कर रही हो राही ? क्यों कर रही है तू ऐसा राही ? आसान सी बात थी तू समझ नहीं पाई?
या जानबूझकर समझ कर भी अनजान बन रही है?
क्या तुझे बस मुझसे बातें करने का बहाना ही चाहिए ?
अच्छे से जानता हूं राही तू बहाने ढूंढती रहती है मेरे साथ गप्पे मारने के देख रहा हूं तुम होले- होले मुस्का रही हो थोडी देर में तू और जोर-जोर से हंसने लगेगी
तूने क्या मुझे बेवकूफ़ समझ रखा है कि तू कुछ भी पूछेगी और मैं जवाब देता चलूंगा
नहीं ..
नहीं दूँगा
ओ मन तुमसे बातें करना बहुत अच्छा लगता है ऐसा मत करो ठीक है मैं ऐसे सवाल करती हूं इसी बहाने तुमसे बातें करती हूं जो भी तुमने कहा वह सच है विनती करती हूं बातें करो ना मुझसे बताओ ना मेरे सवालों का जवाब दो
सुनो राही दिन भर के चौबीस घंटे जो भी तू करती है वह जीवन है ऐसा तुमने कहा और जीवन का अर्थ बहुत सारे एहसास है कई प्रकार की भावनाएं हैं तरह-तरह के किए जाने वाले कार्य है यह भी तुमने ही कहा तो यह कार्य करते हुए समय का बीत जाना हीं वह रास्ता है वही जीवन का रास्ता है ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार की तुम्हारे एहसास तुम्हारी भावनाएं दिखती नहीं है उसी प्रकार जीवन की डगर भी दिखती नहीं धीरे-धीरे बीतता हुआ समय यही यात्रा है छोटे-छोटे पड़ाव आते रहते हैं रास्ते कभी कठिन कभी आसान से लगते हैं रास्ते भी बदलते रहते हैं मोड़ भी अलग अलग से आते हैं और जिंदगी का यह रास्ता एक अंत की ओर चलता चला जाता है परंतु वह अंत होता नहीं कहते हैं इस एक अंत के बाद एक नई शुरूआत हो जाती है
परंतु सुनो राही उस नए राह के बारे में मुझसे मत पूछना क्योंकि मैंने भी उसके बारे में सिर्फ पढ़ा और जाना ही है मुझे उसके बारे में कुछ अधिक जानकारी नहीं इसलिए मैं तुमसे उस बारे में कुछ कह नहीं सकता
ओ राही इतने गंभीर क्यों हो गई क्या सोचने लग गई अच्छा सुनो देखो तुम अपने राह की राही हो चलते रहो रास्ते में जो भी तुम पाओ उसके साथ समभाव मन में रखो अपनी आत्मा से हमेशा मुझे यानी अपने मन को और अपनी काया को जोड़ कर रखो अपने मन काया और आत्मा को सदैव स्वस्थ और सकारात्मक रखने की कोशिश करो
राही अब ऐसे उटपटांग सवाल मुझसे ज्यादा मत पूछा करना जाओ ध्यान करो और थोड़ी शांति अर्जित करो