तुम्हें साथ देख कर
चांद बादलों के लिहाफ मैं छुप गया
शायद किसी इंतजार में
जब मैंने अकेले आसमान को देखा
चांद बादलों के लिहाफ से झांक रहा था
हर रात एक हीं बात कहता है
मैं और तुम रात के अकेले मुसाफिर हैं
आंखों में ख़्वाबों की धधकती चिता है
तेरी तन्हाई और मेरा शीतल आलिंगन
आओ आज फिर रतजगा करते हैं
-- रश्मि किरण
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