top of page
Writer's picturerashmi kiran

चांद संग रतजगा

तुम्हें साथ देख कर

चांद बादलों के लिहाफ मैं छुप गया

शायद किसी इंतजार में

जब मैंने अकेले आसमान को देखा

चांद बादलों के लिहाफ से झांक रहा था

हर रात एक हीं बात कहता है

मैं और तुम रात के अकेले मुसाफिर हैं

आंखों में ख़्वाबों की धधकती चिता है

तेरी तन्हाई और मेरा शीतल आलिंगन

आओ आज फिर रतजगा करते हैं

-- रश्मि किरण



78 views0 comments

Recent Posts

See All

Comments


bottom of page