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नील गगन का जादूगर (कविता)

Updated: Oct 24, 2019

ओ अजनबी कौन है तू रे?

किस देश से है तू आया रे?

शब्दों का तेरे कैसा असर है

भरमाती कोई माया रे?

चुटकी में तू आंसू पोछे

चुटकी मुझे हंसाये रे

बातों का ताना बाना बुनकर

दिल कैसे जाल फंसाये रे

ओ अजनबी कौन है तू रे?

किस देश से है तू आया रे?

ना ना कहते कहते

पल में हाँ की डोर थमाये रे

हाँ हाँ कहती मैं झूठलाऊँ

कैसे ना की डोर छुडाये रे

बातों का ताना बाना बुनकर

दिल मेरा जाल फंसाये रे

ओ अजनबी कौन है तू रे?

किस देश से है तू आया रे?

अब समझी! तू जादूगर है

नील गगन से आया रे

अपनी छडी धुमाकर मुझपर

सतरंगी पंख बनाया रे

परियों की रानी सी झिलमिल

अद्भूत मुझे सजाया रे

आसमा किया इंद्रधनुषी

उड़ने की चमक बढा़या रे

उड चली किस देश मैं तुम संग

जिस ओर भी तू ले जाये रे

ओ जादूगर वश में मोहे कर

अपनी प्रिया बनाया रे

उड रही बिन पंख हीं अब तो

तू मन को बडा हीं भाया रे

अब समझी! तू जादूगर है

नील गगन से आया रे

ओ नील गगन का जादूगर

तू मन में आन समाया रे।

~~रश्मि किरण

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