top of page
Writer's picturerashmi kiran

मंदिर हो आई

Updated: Jun 6, 2021

"भैया मेरे सामानों के पैसे तो ले लो कितनी देर करते हो" दुकानदार अन्य ग्राहकों में व्यस्त था

तब तक मुक्ता की नजर अपने पैर के पास रखें उसके सामानों वाले थैले की तरफ नीचे झुकी लेकिन उससे पहले ही एक जोड़ी गोल गोल आंखों से उसका सामना हो गया उसके घुटने तक ही तो था वह छोटा सा बाल गोपाल उसके थैले से उसने बिस्किट का पैकेट उठा लिया था और दोनों हाथों से ऐसे पकड़ रखा था जैसे उसे कितना कीमती अद्भुत सामान मिला हो वह ऊपर देख रहा था आंखों में याचना थी कि क्या यह मुझे दे दोगे

शरारत भी थी उन आंखों में नाराज़गी झेलने के लिए तैयार थी एक खुशी भी झलकी थी वहां पाने की खुशी

कितने अद्भुत रूप का दर्शन हुआ था मुक्ता को सुबह-सुबह साक्षात् बाल गोपाल ने भोग जो ग्रहण कर लिया था .....मुक्ता की पूजा पूरी हो गई थी

तभी उस बच्चे की मां अपनी गरीबी की विवशता और खीझ को झूठी हंसी और बनावटी गुस्से के साथ छुपाने की असफल कोशिश करती हुई उसके हाथ से पैकेट लेने की कोशिश करती है मुक्ता उसे रोक देती है " इसे कुछ मत कहो ..इसने लिया ही क्या है ...₹10 की बिस्किट का पैकेट ही तो है….. मैं दूसरा ले लूंगी ….बच्चे को खाने दो और मुक्ता एक दूसरे बिस्किट का पैकेट लेकर बेहद आनंद अपने मन में भरकर जैसे किसी मंदिर से भगवान के दर्शन करके आ रही हो अपने घर की तरफ चली जाती है

हां सच हीं तो है


{This website is for the love of Hindi India and positivity It can be a language tutor . A beautiful person with beautiful heart and soul can receive the positivity of this site . Articles of this site will help you as a life coach School . Your support and love for this site can make it a best selling Author Store}


23 views0 comments

Recent Posts

See All

Comments


bottom of page