14 सितंबर का दिन हिंदी दिवस मनाने के लिए तय किया गया है। यह जानकारी बहुत ही अहम है कि सन 1953 से यह हिंदी दिवस प्रतिवर्ष 14 सितंबर को मनाया जाता रहा है। आखिर वह देश जिसका नाम हिंदुस्तान है जहां इकबाल ने कहा हिंदी हैं हम, हम वतन हैं वहां 64 साल होने चला और हम हिंदी को स्थापित रखने की भरपूर कोशिश में हीं लगे हुए हैं। महात्मा गांधी ने वर्ष 1918 में हिंदी साहित्य सम्मेलन में कहा कि हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा माना जाए क्योंकि यह जनमानस की भाषा है। चुकी भारत में कई भाषा और बोलियां बोली जाती हैं इसीलिए स्वतंत्र भारत को एक राजकीय भाषा में बांधने की आवश्यकता हुई, तो स्वतंत्र भारत की कौन सी भाषा राजभाषा के तौर पर अपनाई जाए इस बारे में काफी विचार विमर्श हुआ और यह निर्णय लिया गया कि हिंदी को हीं राजभाषा का सम्मान दिया जाए। यह निर्णय भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343(1) में इस प्रकार लिखा गया-" संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतरराष्ट्रीय रूप होगा।" यह निर्णय 14 सितंबर 1949 को लिया गया, इसलिए संपूर्ण भारत में यही तारीख अर्थात 14 सितंबर हिंदी दिवस मनाने के लिए निश्चित कर दिया गया। इस निर्णय का स्वागत पूरे देश में नहीं हुआ। गैर हिंदी भाषी राज्यों ने इसका बहुत ही जोरदार विरोध किया। एक भाषा को कारण बना कर लगभग पूरा दक्षिण भारत सुलग उठा। इस आग को जोरदार हवा राजनैतिक और अवसरवादिता ने दिया। अवसरवादी ताकतों ने अपना अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए आम जनता को समझाने का काम नहीं किया और इसका परिणाम यह रहा कि अंग्रेजी को भी राजभाषा का दर्जा देना पड़ा। हम भारतीयों ने अपनी गुलामी की इस सबसे अहम निशानी का अपने ऊपर ठप्पा लगा लिया और शांत हो गए। परंतु इसका असर हिंदी पर गहरा पड़ा। हिंदी तो ऐसे ही बेहद उदार भाषा है।इसमें अपने में हर भाषा को आत्मसात कर लेने की अद्भुत क्षमता है। परंतु हिंदी भाषा में अंग्रेजी का प्रभाव बहुत अधिक पड़ने लगा। आजादी के साथ ही हमारे देश ने कई देशों की मदद से अपने कई क्षेत्रों को बेहतर करने और तरक्की करने का रास्ता अपनाया। 1991 के लगभग तक सोवियत संघ भारत का सबसे करीबी दोस्त और सहायक बना रहा था। उस समय के आस-पास देश में नव उदारीकरण की आर्थिक नीतियां लागू की गई और वही समय था जब सोवियत संघ का पतन तेजी से हो रहा था। कारण साफ था समाजवाद का पतन हो रहा था और पूंजीवाद और नई प्रौद्योगिकी का अभ्युदय हो रहा था। नई प्रौद्योगिकी के कारण उसकी सहायता के लिए नई प्रकार की सेवाओं एवं उद्योगों का विकास होने लगा इससे अर्थनीति में बहुत ही बड़ा और महत्वपूर्ण बदलाव आया। कृषि की तरफ झुकाव कम होने लगा और सहायक छोटे उद्योगों की तरफ लोगों का रुझान बढ़ने लगा। भारत एक कृषि प्रधान देश होते हुए भी कृषि का अंशदान 20% से कम रह गया। इसका असर पड़ा हिंदी भाषा के विकास पर। प्रौद्योगिकी ने अंग्रेजी भाषा की महत्ता बढ़ा दी। लोगों को नौकरी के लिए, आगे बढ़ने के लिए व विकास के लिए ऐसे बड़ते प्रौद्योगिकी के माहौल में अंग्रेजी हीं सफलता की डोर दिखी। लोगों के पास इस माहौल ने समय का भी अभाव उत्पन्न कर दिया। अधिकतर लोगों ने हिंदी पर अपना समय बर्बाद करना उचित नहीं समझा। लोग हिंदी बोलने से कतराने लगे। सभी अभिभावक हिंदीभाषी होते हुए भी अपने बच्चों को अंग्रेजी में बोलना व काम करना सिखाने लगे। आगे आने वाले हमारी पीढ़ियां हिंदी बोलती भी है तो बहुत हीं त्रुटि पूर्वक बोलती है। वह बेहद अशुद्ध बोलते हैं। तब कुछ विवेकपूर्ण लोगों ने समुदाय बनाया और लोगों को जगाने की कोशिश करने लगे। घर- परिवार में, नई पीढ़ियों की जबान से हिंदी भाषा ना उजड़ने पाए इस बाबत बहुत सी कोशिशें हो रहीं हैं।मातृभाषा को उजडने से रोक लिया जाए तो हम सब को आगे आना होगा और अपने अपने स्तर पर कार्य करना होगा। हिंदी दिवस के दौरान स्कूलों में कॉलेजों में व सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थाओं में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। हिंदी दिवस पर हिंदी के प्रति लोगों का रुझान बनाने के लिए कई प्रकार के सम्मान की शुरुआत की गई है। एक सम्मान है "भाषा सम्मान" यह सम्मान प्रतिवर्ष देश में ऐसे एक व्यक्ति को दिया जाता है जिसने हिंदी के प्रयोग एवं उत्थान में विशेष योगदान दिया है। परंतु जैसा परिणाम इतनी कोशिशों के बाद मिलना चाहिए वह अब तक हासिल नहीं हो पाया है। हिंदी दिवस मनाने के तुरंत बाद लोग पुनः हिंदी भाषा भूल जाते हैं। इसलिए यह आवश्यक हुआ कि राजभाषा सप्ताह का भी आयोजन किया जाए। हिंदी दिवस के पहले एक सप्ताह तक राजभाषा सप्ताह मनाया जाता है। इससे मात्र इतना ही हो पाया कि एक वर्ष में कम से कम एक सप्ताह तो हम हिंदीमय रहने की कोशिश करते हैं। आवश्यक है कि हम सब मिलकर हिंदी के विकास के लिए काम करें। हमें गर्व करना चाहिए कि पूरी दुनिया में चीनी व अंग्रेजी के बाद दूसरी सबसे बड़ी भाषा बोलने वाले हम हिंदी भाषी लोग हीं हैं। तो आज हम संकल्प लें कि हिन्दी के सम्मान की रक्षा करेंगे क्यों कि हिन्दी का सम्मान देश का सम्मान है।
{This website is for the love of Hindi India and positivity It can be a language tutor . A beautiful person with beautiful heart and soul can receive the positivity of this site . Articles of this site will help you as a life coach School . Your support and love for this site can make it a best selling Author Store}
Comments