top of page
  • Writer's picturerashmi kiran

हारी हुई जीत

Updated: May 26, 2021

हम पहले जहाँ रहते थे वहाँ मच्छरों की संख्या आसमान के तारों की तरह बेशुमार थी। हालत इतनी बद्तर थी कि मच्छरदानी के ऊपर सुबह मच्छर ऐसे बिछे हुए मिलते थे जैसे किसी ने पूरी मच्छरदानी पर जीरा छिड़क दिया हो ।अगर गलती से भी कभी हाथ या पैर का एक छोटा अंश भी मच्छरदानी से जाकर सट जाता था तो उस पर एक साथ झुंड के झुंड मच्छर हमला कर देते थे। एक बार जो हम मच्छरदानी के अंदर में गए तो फिर अगर किसी काम के लिए बाहर निकलना हो तो आफ़त हो जाती थी। क्योंकि उस पूरे क्रम में एक या दो मच्छर कितनी भी कोशिश करने के बावजूद भी मच्छरदानी के अंदर घुसपैठ कर ही लेते हैं ।और फिर उन घुसपैठियों को खत्म करना हिंदुस्तान पाकिस्तान के बॉर्डर की जद्दोजहद से कम नहीं होता था।

इतना हीं नही सबके सब ग़ज़ब के क्रांतिकारी उनका नारा बुलंद रहता तुम हमें ख़ून दो और हम तुम्हें आज़ादी। आजादी का मतलब यह बिल्कुल भी नहीं कि वह हमें छोड़ कर चले जाएंगे ।अगर हम उन्हें एक कटोरी खून दे देंगे तो भी नहीं बिल्कुल नहीं। वे तो इस पूरी दुनियादारी और मोह माया से हमें आजाद करने की बात करते थे।

एक एक मच्छर कई हथियारों से लैस होते । चाहे वह चिकनगुनिया हो डेंगू हो या की सदी का पुराना मलेरिया‌ एक बात तो सही थी वे लवेरिया अस्त्र से तो हम पर वार कभी नहीं करना चाहते थे। हम से लव करते तो फिर वह सारी लड़ाई हार जाते हैं।

हम एक मच्छर क्या मारते लाखों आ जाते थे। मिलकर वे नारा लगाते "कितना मारोगे उससे कई गुना सामने आ जायेंगे "‌। उनके बाजे गाजे ढोल पीपी सब के सब की एक ही आवाज़ भनननन भनननन भनननन। कितनी भयानक आवाज़ थी यह जहां कान में गई नहीं कि खुद ब खुद इंसान नृत्य करने लग जाते । उसके हाथ अलग अलग तरीके से नाचना शुरू कर देते ।इतना ही नहीं आवाज़ में एक ऐसा सम्मोहन कि इंसान खुद ब खुद अपने आप को थप्पड़ मारना शुरू कर देता और कभी-कभी तो सामने वाले की भी गालों पर थप्पड़ मार देता कुछ लोगों को तो पैर पटक कर नाचते भी देखा

हम तो बस हार ही मान लिये थे । जीतने भी उपाय सामने आते सब अपनाते। टीवी रेडियो पत्र-पत्रिकाओं में जो भी इन मच्छरों को मारने, भगाने या खुद से दूर रखने के उपाय बताए जाते हम तुरंत उन्हें खरीद कर घर ले आया करते थे। धूप धूमन अगरबत्ती मंत्र तंत्र यंत्र जहां जो पता चला वही किया गया परंतु नतीजा....उफ़्फ़

मच्छरों ने खूब हमारे खून चूसे। हम तो बस हिंदुस्तान पाकिस्तान और भारत चीन की लड़ाई करते ही रह जाते पूरी जिंदगी कि हम दूसरी जगह रहने आ गए।

यह हमारी ख़ुशनसीबी थी या मच्छरों की बदनसीबी यह तो हमें नहीं पता पर यहाँ इक्का दुक्का हीं मच्छर दिखते हैं लेकिन इस इक्के-दुक्के मच्छरों में से भी मेरा बेटा परेशान हो उठता है और युद्ध का हुंकार भरने लगता है

जय मां भवानी ऐसा तो वो बिल्कुल नहीं कहता हां मॉम मॉम कहता है क्योंकि नया जमाना आ गया है नए हथियार नई बीमारियाँ नए कीटाणु तो ऐसी हालत में माँ शब्द भी अपडेट करने की तो जरूरत है हीं

बेटे ने आवाज़ लगाई "मॉम मॉम एक सिर्फ़ एक मच्छर है मेरे कमरे मैं उसने मुझे परेशान कर दिया है मुझे चिढ़ाता है मेरे पास उड़ता हुआ ललकारता है पकड़ो पकड़ो दम है तो पकड़ो जैसे हीं मैं कोशिश करता हूँ वो दूसरी ओर चला जाता है दूसरी ओर से तीसरी ओर कभी उपर कभी नीचे कभी तो ग़ायब हो जाता है जब वह दिखाई नहीं पड़ता है तब मैं राहत की साँस लेता हूँ कि अच्छा हुआ गया तो लेकिन राहत की सांस वह ज्यादा देर तक लेने नहीं देता वह फिर मुझे आ कर सहलाता है दुष्टता से मुसकाता है कि काटूं काटूं मारोगे तो नहीं लो तुम जीते हम हारे ... उफ़्फ़

नानापाटेकर का फ़िल्मी डायलॉग है न एक मच्छर आदमी को ताली बजवा देता है "।

बेटे की संघर्ष में पड़े हुए शब्द उसकी लड़ाई से बौखलाए हुए आवाज़ से मैं घबराई । कोई भी मां अपने बेटे को हारता हुआ नहीं देख सकती। उसका साथ देने के लिए मैं लपक कर उसके कमरे में पहुंची है । वहां का नज़ारा किसी भुतहा फिल्म से कम नहीं था ।

बेटे ने एक और इशारा किया । बेटे के चेहरे पर दहशत साफ नजर आ रही थी। जब मैंने उस तरफ देखा तो मैं क्या देखती हूं की एक ख़ून पी कर बड़े से पेट वाला मच्छर उसके किताब के सफेद पन्नों पर बैठा हुआ है। पेट तो ऐसा लग रहा था मानो अब फूटा कि तब फूटा । पी कर मदमस्त हुए शराबी से बत्तर हालत थी उसकी। कभी इधर लुढ़कता कभी उधर उड़ भी नहीं पा रहा था। उसकी लालच ने उसे कहीं का नहीं छोड़ा था मरने को तैयार होने के अलावा उसके लिए कोई उपाय नहीं था ।

एक मच्छर को मार मार कर मैं तो जीत का जश्न जरूर मनाना चाहती थी , अगले ही पल मुझे विचार आया उफ़्फ़ कौन इस गंदे ख़ून से अपने हाथ रंगे । फिर आत्मा से संतो वाली आवाज़ निकली इस असहाय को मारकर तुझे क्या मिलेगा जो खुद पहले मर चुका है उसे और मार कर क्या करोगे। मैंने अपनी बेटी की तरफ देखा। मेरे बेटे के दिल में भी शायद वही पुकार उठ रही थी । आखिर उसके रगों में भी मेरा ही खून तो दौड़ रहा है । हम दोनों मां-बेटे ने तय किया कि इस मच्छर को किसी पेपर से सावधानी से पकड़ कर खिड़की से बाहर मुक्त कर दिया जाए और अपने घर को एक भी मच्छर के आने से सुरक्षित करने के लिए सारे उपाय चाक-चौबंद कर ली जाए ताकि हमें यह जो एक मच्छर भी आ जाया करते हैं उन्हें मार कर पाप का भागी ना बनना पड़े।

{This website is for the love of Hindi India and positivity It can be a language tutor . A beautiful person with beautiful heart and soul can receive the positivity of this site . Articles of this site will help you as a life coach School . Your support and love for this site can make it a best selling Author Store}

78 views0 comments

Recent Posts

See All

Comments


bottom of page