कहते हैं कि विद्याथिर्यों की बहुत बड़ी संख्या में सभी विद्यार्थी को याद रख पाना एक शिक्षक के लिए संभव नहीं है परन्तु अनेकों विद्यार्थी एक शिक्षक को जीवन भर याद रखता है ।
परन्तु कुछ खास विद्याथिर्यों को शिक्षक भी ताउम्र भूलता नहीं है
वैसा हीं है सुयश
गणित के सवालों से उलझे रहना लगभग सुयश का रोज का ही काम है कोई भी सवाल जिस तरह से बन रहा हो वह उस तरीके को समझता तो है परंतु कई तरह के तर्क वह बीच-बीच में इजात करता रहता है जैसे कि वह यह पूछता है
" यह क्यों किया गया है ?
वैसा क्यों नहीं हम कर सकते ?
मैं अपने इस तरीके से क्यों नहीं हर कर सकता?
अगर यह किया गया तो क्या होगा ?
इसका मतलब क्या है ?
यह ठीक तरीका नहीं इस तरह से नहीं बनाना चाहिए?"
आदि आदि …..
उफ्फ! पता नहीं कितने तरह के सुयश के सवाल ,
सच कहूं सुयश के किसी भी सवाल पर झल्लाहट नहीं होती उसके हर सवाल पर बहुत ही आनंद आता है
मुझे क्यों आनंद आता है? आप को पता है ?
तो सुनिए...
वह है नएपन का आनंद कि मेरे सामने एक नया प्रश्न है कि आखिर यह सवाल ऐसा क्यों है या यह समझाने कि उत्सुकता होती है कि इसी तरह से सवाल क्यों बन रहा है एक शिक्षक के कौशल का इम्तिहान हो जाया करता है मेरे सामने एक चुनौती होती है
जो भी उसके प्रश्न होते हैं उनको समझाना कि उसके प्रश्न कहां तक सही है या कहा उसे सोच को पुनः उस दिशा में लाना पड़ेगा जहां से कि वह सवाल बन पाए
एक शिक्षक को एक नया अनुभव मिलता है उसके सवाल कक्षा की एकरसता को भंग करते हैं और कक्षा लेने में बड़ा मजा आता है
एक बड़ा हीं मजेदार न भुलाने वाला वाक़या है
एक दिन कुछ यूं हुआ कि कक्षा का समय लगभग आधी से अधिक बीत चुका था और सभी विद्यार्थी अपने अपने सवालों को बनाने में मग्न थे
मैं दूसरे विद्यार्थी को जिन्हें गणित समझने में कुछ कुछ समस्या आ रही थी उन्हें कुछ समझाने की मेरी कोशिश बड़ी तन्मयता से चल रही थी कि तभी
एक आवाज आयी
"वाऽऽऽऽऽऽऽह" ।
मैने चौंक कर उस ओर देखा।
उसकी खुशी से आँखें फैली हुई थी।
उसने मुँह को जोश में खुशी से बिना आवाज़ के बडा सा खोला हुआ था।
जीत की मुद्रा मे दोनो बाजुओं को सर के उपर लहराये हुये था।
उसे देख मैं ने अचरज से कहा--"तुम्हें पढाई खत्म
कर भागने की बड़ी जल्दी है। अंतिम सवाल पूरा हो गया क्या? "
उसने खुशी से मुझे यूँ देखा जैसे अभी - अभी वह आयेगा ओर मेरे संग झूम के नाच उठेगा जैसे कि वह सिकंदर महान हो गया हो
"नहीं मैम मैं ने सवाल बना लिया। मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं ने कोइ बहुत बडा युद्ध जीत लिया है। मैं विश्वविजयिता सा महसूस कर रहा हूँ।"
अपने विद्यार्थी की ऐसी खुशी और उसके ह्रदय से निकले ये शब्द एक शिक्षक को विश्वविजयिता सा महसूस कराने के लिये काफी है।
अलग अलग से विद्यार्थी मुझे सदैव मिले। सब ने अपनी अपनी कहानियां मेरी यादों में संग्रहीत की है आशा है और ईश्वर से प्रार्थना है मैं इसी प्रकार आगे आने वाले नये विद्यार्थियों को भी विश्वविजयिता महसूस करवाऊं
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