आज हम सब अपने इस कटु सत्य से वाक़िफ़ हैं कि किस तरह हमारा एजुकेशन सिस्टम और हमारा समाज हमारे देश में हमारे बच्चों को एक दबाव में रखे हुए हैं उन्हें फुल मार्क्स लाना होगा या उन्हें बहुत ही अच्छे नंबर लाने ही पड़ेगी हमारे देश में आज भी हमारा एजुकेशन सिस्टम इसी बात पर का कायम है कि एक बच्चे को कितना नंबर आता है उससे उसकी समझदारी उसकी बुद्धिमता को आंका जाता है ना कि इस बात को देखा जाता है कि उस बच्चे में वास्तविक किन किन बातों की काबिलियत है बोर्ड एग्जामिनेशन को ले करके तो बहुत ही एक्सट्रीम में हमारा देश हमारा समाज हमारे मां-बाप और हमारा पूरा सिस्टम है इस समय तो बच्चों को बस यह लगता है कि अगर वह बोर्ड एग्जामिनेशन नहीं पास कर पाए तो शायद वह अपनी जिंदगी को ही हार गए हैं
बच्चे जी जान लगा कर के board examinations के लिए अपनी पढ़ाई करते हैं परंतु उनके अंदर कहीं ना कहीं शंका रहती है कि शायद उनकी काबिलियत में या उनके प्रयास कम न हो रहे हो बच्चों के अंदर board examinations का डर व घबराहट न हो तथा अंतिम समय तक आत्मविश्वास बना रहे इसके लिए दसवीं व बारहवीं के बच्चों व अभिभावकों के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव हैं कक्षा के शुरुआती समय से हीं यहां बताई कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो सफलता आसान हो सकती है
1)Central board of secondary education cbse इस बाबत ऑनलाइन टेलिफोनिक काउंसलिंग सर्विस दे रहा है जिसका मकसद है कि बच्चे और उनके अभिभावकों को एक गाइडलाइन मिले जिससे कि वह बेहतर नंबर ला सके और उनके ऊपर कम दबाव हो
अपने ही क्लास के बच्चों को देखते हैं जब कोई आगे निकल रहा हो तो उसे देख कर के खुद को समझने लगते हैं कि कम काबिल हैं अपनी काबिलियत उन्हें तब और भी कम नजर आती है जब वह ढेर सारे स्टडी मैटेरियल्स तथा बहुत ही लंबे लंबे स्टडी मैटेरियल्स को पूरा करने में लगे रहते हैं और कहीं ना कहीं चूक होने लगती है बहुत ही लंबे समय तक बच्चे अपनी पढ़ाई अपनी किताबों से जूझते रहते हैं यह भी उनके अंदर स्ट्रेस बढ़ाता है
लगातार वह पढ़ते रहते हैं लगातार कोशिशों को याद करते रहते हैं इतनी सारी जानकारियाँ और शब्द दर शब्द हर चीजों को याद करने की उनके ऊपर बहुत बड़ा स्ट्रेस रहता है प्रेशर रहता है
वह कई प्रेक्टिस एग्जामिनेशन से गुजरते हैं और जरूरी नहीं कि हर प्रैक्टिस एग्जामिनेशन में उन्हें अच्छे नंबर आए उनकी ग़लतियाँ होती रहती हैं यह भी उनको डराता है कि उनकी काबिलियत कम है
2 ) बच्चे अपने ऊपर विश्वास रखें और जो कुछ भी उन्हें समझ में नहीं आ रहा हो उसको लेकर के डरे नहीं घबराए नहीं बल्कि उसको समझने के लिए उचित प्रयास करें चाहे वह शिक्षक से परामर्श लेना हो अपने साथ ही बच्चों से परामर्श लेना हो या किसी लाइब्रेरी से किसी किताब से हेल्प लेनी है वह अपने दिमाग को स्ट्रेस से दूर रखकर उस प्रॉब्लम का हल ढूंढने की कोशिश करें
3)बच्चों को पूरी नींद लेनी चाहिए
4)बच्चों के भोजन में व्याप्त न्यूट्रिशन होना चाहिए 5)बच्चों को थोड़ी थोड़ी देर पर पानी पीते रहने के लिए कहे पानी पीते रहना बहुत ही जरूरी है यह अंदर के टॉकसींस को रिमूव करता है और स्ट्रेस लेवल को भी कम करता है
6)बच्चों को थोड़ी थोड़ी देर पर पौष्टिक स्नेक्स खाने के लिए देते रहना चाहिए यह अकेलापन दूर करता है और मन में भी थोड़ी सी रिलैक्स लाता है
7)बच्चे पढ़ाई करते समय नोट्स बनाने की आदत डालें ताकि वह लास्ट मिनट में उस नोट से सही तरह से रिवीजन कर के परीक्षा देने जा सके
8)बच्चों को एक अच्छी डेली रूटीन को बनाकर उसे फॉलो करना चाहिए जिससे कि व्यवस्थित ढंग से वह सारी तैयारियां कर सकें क्योंकि स्ट्रेस लास्ट समय में आपकी मेमोरी को कम कर सकता है और आपके अंदर कंसंट्रेशन की कमी कर सकता है
बच्चों पर दबाव कम करने की बहुत आवश्यकता है इसके लिए अभिभावकों को सबसे अधिक मेहनत करनी पड़ेगी बच्चों को भी समझाना पड़ेगा
स्कूल और टीचर अपना काम कर ही रहे हैं
9)बच्चों को प्रेशर कम हो इसके लिए उन्हें पढ़ाई को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट कर पढ़ने की समझ देनी होगी
10)उन लोगों को अपनी प्रेशर रिलीज करने के लिए थोड़ा क्रिएटिविटी की तरफ भी जा जाना चाहिए क्योंकि एंटरटेनमेंट बच्चों को रिचार्ज और रिफ्रेश कर देता है ताकि वह दोबारा मन लगाकर पढ़ाई में लग सके
11)अभिभावक और शिक्षकों को चाहिए कि वह बच्चों की गतिविधियों पर ध्यान दें और जानने की कोशिश करें कि कहीं बच्चे की गतिविधियों में व दिनचर्या में किसी तरह का बदलाव तो नहीं आ रहा है कहीं यह बदलाव किसी तरह की भी स्ट्रेस के संकेत तो नहीं दे रहा अगर ऐसा है तो वह उचित कदम ले उसे दूर करने के लिए
12)बच्चों को हल्की एक्सरसाइज लेने के लिए प्रेरित करें बच्चों को प्राणायाम करने के लिए बोले और बच्चों को ध्यान कर अपने आप को शांत रिलैक्स करने की प्रेरणा दें
बच्चे अपने साथी के साथ बातचीत में उनके साथ कंपीटीशन करने में और बहुत तरह के अन्य बातचीत व गतिविधियों के कारण भी बहुत ही स्ट्रेस में आ जाते हैं
13)इस समय अभिभावक बच्चों के साथ दोस्तों की तरह खुल कर और बहुत ही प्यार से बात करें पढ़ाई से हटकर एग्जामिनेशन से हटकर अन्य तरह की कुछ बातें भी उस समय अपने बच्चों के साथ करें ऐसा माहौल उन्हें दे कि बच्चे खुलकर अपनी परेशानी अपने आप आपको बता सके
14)सोशल मीडिया न्यूज़पेपर पत्र पत्रिकाएँ कई बार बहुत सारे लेख निकालते तो है बहुत सारी बातों के ऊपर बच्चों और अभिभावकों का ध्यान आकर्षित करते तो है परंतु यह जरूरी नहीं कि वह हमेशा ही अच्छी बात हो कई बार हमारी मीडिया में भी बच्चों के लिए भ्रामक बातें आ जाती है और यह भ्रामक बातें उन्हें बहुत ही स्ट्रेस में डाल देती हैं इसीलिए अभी बहुत ही अलग होने की जरूरत हो जाती है कि बच्चे किसी भी तरह की भ्रांतियां और भ्रामक बातों में ना पड़े अभिभावकों को चाहिए कि वह मीडिया में बच्चे क्या देख रहे हैं मीडिया में क्या आ रहा है उन्हें क्या बताना चाहिए नहीं बताना चाहिए इसके ऊपर भी वह ध्यान रखें
सौ बातों की एक बात है कि जीवन से बहुमूल्य व महत्त्वपूर्ण कुछ भी नहीं
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